08 January 2012

तसव्वुराते यार से मिटी है सारी दूरियां !!

हमारा इश्क भी निहाँ तुम्हारा हुस्न भी निहाँ !
हमारे तुम हो राजदां तुम्हारे हम है राजदां !!

कोई अलम नहीं मुझे मै हूँ यहाँ वो है वहां !
तसव्वुराते यार से मिटी है सारी दूरियां !!

सदाबहार है चमन नहीं मुझे गमे खिजाँ !
ज़हेनसीब तुम हो जब मेरे चमन के निगहेबां !!

ज़रूर होगा मुश्तमिल इबादतों में इश्क भी !
जो दीद उनकी मिल गयी तो मिल गयी है नेकियाँ !!

वो शै तुम्हारी है फ़क़त वो जिसके तुम हो मुस्तहक !
बिला तकल्लुफ आओ तुम ये दिल तुम्हारा है मकाँ !!

तेरे गमे फिराक में ये शग्ले रोजो शब् मेरा !
हर एक शब् में ख्वाब है हर एक दिन है हिचकियाँ !!

जब अपना कह दिया मुझे तो जैसा हु निभाओ तुम !
हो चाहें मुझमे खूबियाँ हो हो चाहें मुझमे खामियां !!

निगाह अगर वो फेर लें तो सब जहाँ खिलाफ हो !
वो मुझपे अब है मेहरबां तो मुझपे सब मेहरबां !!

"हिलाल" ये ग़ज़ल नहीं ये मनक़बत है मनक़बत !
न समझो इसको मसनवी न समझो इसको दास्ताँ !!

No comments:

Post a Comment