साक़ी भी है हुसैन के कौसर हुसैन का !
मोहताज है हर एक समंदर हुसैन का !!
दोशे मुबरिका पे बिठाते थे खुद हुज़ूर !
रखते थे कितना ध्यान पयम्बर हुसैन का !!
क्यूँ अर्जे कर्बला तेरा रुतबा न हो बुलंद !
आकर जो तुझमे ठहरा है लश्कर हुसैन का !!
दिल कांप उठा दौड़ के क़दमो पे गिर गए !
देखा जो हुर ने चेहरा-ए-अनवर हुसैन का !!
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नेजे पे लेके चल दिए ज़ालिम सर-ए-हुसैन !
फिर भी बुलंद-ओ-बाला रहा सर हुसैन का !!
उनको रजाए हक पे कटाना था अपना सर !
कुछ कर न पाते वरना सितमगर हुसैन का !!
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बातिल की ताक़तों का उसे खौफो गम नहीं !
जज्बा है जिसके क़ल्ब के अन्दर हुसैन का !!
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नामे यजीद मिट गया दुनिया से ऐ हिलाल !
होता रहेगा तजकिरा घर घर हुसैन का !!
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