ग़ज़ल
मेरे होते क्या गम तुझको क्यूँ ये भीगा काजल है
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तेरे चाँद से चेहरे पर क्यूँ छाया काला बादल है
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तेरी जुल्फें काली घटाएं अम्बर तेरा आँचल है |
तेरा चेहरा चाँद का टुकड़ा और तारों की पायल है
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साथ अगर तू मेरे हो तो सहरा लगता है गुलशन |
साथ अगर तू मेरे नहीं तो गुलशन क्या है जंगल है
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तेरी कमर पे नागिन जैसी बल खाती हैं यूँ
जुल्फें |
ऐसा लगता है कि जैसे जिस्म नहीं है संदल है ||
मुझको उस दिन से भी मुहब्बत है जिस दिन तुम
मिलते थे |
मुझको तुम्हारी याद आती है जब भी आटा मंगल है
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मैंने जब भी आँखें खोली सामने पाया है तुझको |
रूठने वाले सामने आ जा क्यूँ आँखों से ओझल है
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तेरा हिलाल अब तुझसे रूठे ये मुमकिन तो नहीं
होगा |
ये तेरा है तेरा रहेगा दीवाना है पागल है ||
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