01 May 2009

बेरुखी

कौन कहता है के वो घर मेरे क़ज्दन आये

जब कभी घर मेरे आये तो वो सहबं आये

सारे एहबाब ही आये मिज़ाज पुरसी को

इसलिए मेरी अयादत को वो रस्मन आये