Hilal Badayuni -- ( हिलाल बदायूंनी )
01 May 2009
बेरुखी
कौन कहता है के वो घर मेरे क़ज्दन आये
जब कभी घर मेरे आये तो वो सहबं आये
सारे एहबाब ही आये मिज़ाज पुरसी को
इसलिए मेरी अयादत को वो रस्मन आये
Newer Post
Older Post
Home