जैसे कोई कलि अधखिली रह गयी
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गयी
तू न आया न ही ख्वाब आये तेरे
तुझसे आँखों को नाराजगी रह गयी
अक्स क्या उड़ गया तेरा अलफ़ाज़ से
खाली बे रंग की शायरी रह गयी
अपने घर से चला जब मै परदेस को
दूर तक माँ मुझे देखती रह गयी
वो मेरे दिल से आकर चला तो गया
उसके क़दमो की कुछ ताजगी रह गयी
उससे मिलकर भी कब कह सका राज़-ऐ-दिल
बात मुंह की मेरे मुंह में ही रह गयी
उससे चाहा वफाओं का इकरार जब
उसके होंठो पे इक खामशी रह गयी
उसने इक बात भी मेरी चलने न दी
सारी तोहमत मेरे सर मढ़ी रह गयी
बाद-ऐ-तर्क-ऐ-मुहब्बत वो मुझसे 'हिलाल'
क्यों समझता है के दोस्ती रह गयी
Bahut khoob
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