खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!
मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!
शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!
उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे !!
लोग चेहरे के ता अस्सुर से समझ जाते है !
हाले दिल अपना छुपाऊं तो छुपाऊं कैसे !!
गुफ्तगू करने का मौक़ा ही नहीं मिलता है !
उनसे मै बात बढाऊं तो बढाऊं कैसे !!
अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल' !
उसको मै अपना बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!
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