मर्ज़ जिस तरह से लाजिम है दवा से पहले !
बेवफाई भी ज़रूरी है वफ़ा से पहले !!
ख्वाहिश ऐ दीद है यूँ दिल को क़ज़ा से पहले !
तुमसे मिलने की तमन्ना है खुदा से पहले !!
आरजू तो है चरागों को जलाने की मगर !
मुझको मालूम तो करने दो हवा से पहले !!
जब मेरा साथ निभाना ही नहीं था तुमको !
क्यों दिए मुझको मुहब्बत में दिलासे पहले !!
सिर्फ खिलअत से नहीं आबरू औरत की 'हिलाल ' !
शर्म आँखों में रखी जाये रिदा से पहले !!
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