18 March 2010

एहसास

रब्त -ए -नाज़ुक की शुरुआत भी हो सकती है ,

लब हिलेंगे नहीं और बात भी हो सकती है !!.

हमसे मिलने का कभी दिल में न तुम ग़म करना ,

बंद आँखों में मुलाक़ात भी हो सकती है !!

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