19 March 2010

जदीदियत

ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे !

कुछ अपने हाल -ए -तबाही पे रो गए होंगे !!

जदीद ज़ेहन में मैदाने -ए -कर्बला की तरह ,

शहीद कितने ही अलफ़ाज़ हो गए होंगे !!

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