तू समझता है बदौलत तेरी है
मेरे दम से ही ये इज्ज़त तेरी है
यु उजड़ता कब है कोई गुलसितां
लगता है इसमें शरारत तेरी है
तू अमीर -ऐ -शहर था मग़रूर था
हाथ फैला अब ज़रूरत तेरी है
चाहतें किस किस की है दिल में तेरे
मेरे दिल में सिर्फ चाहत तेरी है
इसलिए महफूज़ रखता हु इसे
ज़िन्दगी मेरी अमानत तेरी है
शेर महफ़िल में सुनाता है 'हिलाल '
या खुदा इस पे ये रहमत तेरी है
मेरे दम से ही ये इज्ज़त तेरी है
यु उजड़ता कब है कोई गुलसितां
लगता है इसमें शरारत तेरी है
तू अमीर -ऐ -शहर था मग़रूर था
हाथ फैला अब ज़रूरत तेरी है
चाहतें किस किस की है दिल में तेरे
मेरे दिल में सिर्फ चाहत तेरी है
इसलिए महफूज़ रखता हु इसे
ज़िन्दगी मेरी अमानत तेरी है
शेर महफ़िल में सुनाता है 'हिलाल '
या खुदा इस पे ये रहमत तेरी है
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