15 October 2009

ता -अस्सुरात -ऐ -इश्क

कोई तो बात है जिसको छुपाते रहते हो

के अपने आप से नज़रें चुराते रहते हो

ज़रूर दिल में मोहब्बत किसी की जागी है

बघिर बात के जो मुस्कुराते रहते हो

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