02 April 2010

आँख और आंसू





ये बोला आँख से आंसू के माँ ये क्या किया तूने ,
हमारी कौन सी ग़लती का ये बदला लिया तूने |
कभी औलाद को अपनी जुदा माँ तो नहीं करती ,
फिर अपने लाल को क्यूँ घर से बेघर कर दिया तूने ||


ये बोली आँख आंसू से जुदा बस यूँ किया तुझको ,
बुलंदी पर पहुचने का दिया है रास्ता तुझको |
अगर तू साथ रहता तो तेरी क्या अहमियत होती ,
ज़मीं पे गिर के ही तो मर्तबा आला मिला तुझको ||

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